"न जायते म्रियते वा कदाचि, नायं भूत्वा भविता वा न भूय:
अजो नित्य: शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे "
अर्थात आत्मा न तो कभी जन्मती है, न कभी मरती है; एक बार अस्तित्व में न होने के बाद, क्या यह कभी भी समाप्त नहीं होता है. आत्मा बिना जन्म, शाश्वत, अमर और अडिग है. शरीर के नष्ट होने पर यह नष्ट नहीं होता है.
किसी ने सत्य ही कहा है मृत्यु सत्य है और शरीर नश्वर हैं,यह जानते हुए भी अपनों के जाने का दुःख होता हैं. यह संसार प्रकृति के नियमों के अधीन हैं, और परिवर्तन एक नियम है शरीर तो मात्र एक साधन है.
प्रदेश मंत्री डी.पी भारती जी के ताऊ जी का दिनांक 18 मई को देहांत हो गया उन्होंने दुःख व्यक्त करते हुए अपनी कहा कि जीवन में सभी रिश्ते अमूल्य होते हैं, इन सभी रिश्तों में "ताऊ" का रिश्ता एक वट वृक्ष के समान- प्यार, सरंक्षण, ताकत देने वाला होता है. आज से यह रिश्ता मुझसे हमेशा के लिए विदा हो गया. अब गाँव जाने पर मेरे परिवार में मुझे "ताऊ" का लाड़-प्यार नही मिलेगा. ताऊ जी की बहुत याद आएगी.
महाकारुणिक भगवान बुद्ध से वन्दना करते हैं कि परम् पूज्य ताऊ जी श्री मुंशी लाल महाशय जी को अपने पावन धाम में स्थान प्रदान करें. पुण्य आत्मा को शांति प्रदान करें.
कृतज्ञ कोटि-कोटि नमन
विनम्र श्रद्धांजलि