"न जायते म्रियते वा कदाचि, नायं भूत्वा भविता वा न भूय:
अजो नित्य: शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे "
अर्थात आत्मा न तो कभी जन्मती है, न कभी मरती है; एक बार अस्तित्व में न होने के बाद, क्या यह कभी भी समाप्त नहीं होता है. आत्मा बिना जन्म, शाश्वत, अमर और अडिग है. शरीर के नष्ट होने पर यह नष्ट नहीं होता है.
किसी ने सत्य ही कहा है मृत्यु सत्य है और शरीर नश्वर हैं,यह जानते हुए भी अपनों के जाने का दुःख होता हैं. यह संसार प्रकृति के नियमों के अधीन हैं, और परिवर्तन एक नियम है शरीर तो मात्र एक साधन है.
प्रदेश मंत्री डी.पी भारती जी के मामा श्री वीरेंद्र पाल सिंह (रि. पेशकार - सेशन कोर्ट, बदायूं) जी का दिनांक 14 मई को अचानक देहांत हो गया. करुणा से भाव-विभोर होकर उन्होंने कहा कि ननिहाल में "मामा" का प्यार बड़ा निराला होता है.उनका इस तरह से अचानक हमेशा के लिए चले जाना बहुत ही दुःखद है.आपकी बहुत याद आएगी...
कोटि कोटि नमन
विनम्र श्रद्धांजलि